Table of Contents
- 1 हनुमान चालीसा का पाठ करने के लाभ:
- 2 श्री हनुमान चालीसा हिंदी में | Hanuman Chalisa in Hindi| Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi | Hindi Hanuman Chalisa
- 3 श्री हनुमान चालीसा हिंदी अर्थ सहित | Hanuman Chalisa in Hindi with meaning|Hindi Hanuman Chalisa with meaning
- 4 हनुमान चालीसा हिंदी में देखें | हनुमान चालीसा हिंदी में सुनें | Listen Hanuman Chalisa in Hindi| Listen & Watch Hindi Hanuman Chalisa
- 5 हनुमान चालीसा के लिए 15 सामान्य प्रश्न (FAQs)
- 5.1 हनुमान चालीसा क्या है?
- 5.2 हनुमान चालीसा किसने लिखी?
- 5.3 हनुमान चालीसा का क्या महत्व है?
- 5.4 हनुमान चालीसा में कुल कितनी चौपाइयाँ हैं?
- 5.5 हनुमान चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
- 5.6 हनुमान चालीसा का पाठ कैसे करना चाहिए?
- 5.7 हनुमान चालीसा के पाठ के क्या लाभ हैं?
- 5.8 हनुमान चालीसा का कौन सा भाग सबसे महत्वपूर्ण है?
- 5.9 क्या हनुमान चालीसा का पाठ किसी विशेष विधि से करना चाहिए?
- 5.10 क्या हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं?
- 5.11 क्या हनुमान चालीसा का पाठ करने से परीक्षा में सफलता मिलती है?
- 5.12 क्या हनुमान चालीसा का पाठ करने से घर में सुख-शांति आती है?
- 5.13 क्या हनुमान चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?
- 5.14 क्या हनुमान चालीसा को सुनने से भी लाभ होता है?
- 5.15 क्या हनुमान चालीसा का पाठ समूह में किया जा सकता है?
हनुमान चालीसा का पाठ करने के लाभ:
- शारीरिक और मानसिक शक्ति: हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से शारीरिक और मानसिक शक्ति मिलती है। इससे आत्मविश्वास बढ़ता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
- रोगों से मुक्ति: यह माना जाता है कि हनुमान चालीसा का पाठ करने से रोग और पीड़ाएं कम होती हैं। इससे स्वास्थ्य में सुधार होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
- संकटों से रक्षा: हनुमान चालीसा का पाठ करने से जीवन में आने वाले संकटों और बाधाओं से मुक्ति मिलती है। हनुमान जी की कृपा से सभी विपत्तियों का नाश होता है।
- भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति: हनुमान चालीसा का पाठ करने से भूत-प्रेत, तंत्र-मंत्र और अन्य नकारात्मक शक्तियों का असर खत्म होता है। यह घर और परिवार को सुरक्षित रखता है।
- शांति और संतोष: हनुमान चालीसा का पाठ करने से मन में शांति और संतोष प्राप्त होता है। इससे मन की अशांति और तनाव दूर होते हैं।
- ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि: हनुमान चालीसा का पाठ करने से बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है। इससे एकाग्रता और स्मरण शक्ति में सुधार होता है।
- भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि: हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी के प्रति भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है। यह व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर करता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: हनुमान चालीसा का पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह भरता है।
- संकटमोचन: हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी संकटमोचन के रूप में सभी संकटों को हर लेते हैं और जीवन को सुखमय बनाते हैं।
- सफलता और समृद्धि: हनुमान चालीसा का पाठ करने से कार्यों में सफलता मिलती है और जीवन में समृद्धि आती है। हनुमान जी की कृपा से सभी कार्य सफल होते हैं।
हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और वह आध्यात्मिक, मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से सशक्त होता है।
श्री हनुमान चालीसा हिंदी में | Hanuman Chalisa in Hindi| Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi | Hindi Hanuman Chalisa
॥ दोहा ॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुण्डल कुंचित केसा॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे।
काँधे मूँज जनेऊ साजे॥
संकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन॥
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचन्द्र के काज सवाँरे॥
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक तें काँपै॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै॥
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अन्त काल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बन्दि महा सुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥
॥ दोहा ॥
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
श्री हनुमान चालीसा हिंदी अर्थ सहित | Hanuman Chalisa in Hindi with meaning|Hindi Hanuman Chalisa with meaning
दोहा:
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि।
बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि॥
- श्रीगुरु के चरण कमलों की धूल से अपने मन रूपी दर्पण को साफ करके, मैं रघुवर (श्रीराम) के पवित्र यश का वर्णन करता हूँ, जो चारों फलों (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) को देने वाला है।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार॥
- अपनी बुद्धिहीनता को जानकर, मैं पवन के पुत्र हनुमान का स्मरण करता हूँ। आप मुझे बल, बुद्धि और विद्या प्रदान करें, और मेरे कलेश (दुःख) और विकार (दोष) को हर लें।
चौपाई:
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥
- हे हनुमान, ज्ञान और गुण के सागर, आपको प्रणाम है। हे वानरराज, तीनों लोकों में आपकी महिमा फैली हुई है।
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥
- आप राम के दूत हैं, अतुलनीय बल के धाम हैं। आप अंजनी के पुत्र और पवनदेव के नाम से प्रसिद्ध हैं।
महाबीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
- आप महान वीर हैं, बजरंग बलवान हैं। आप बुरी बुद्धि को दूर करने वाले और अच्छी बुद्धि के संग हैं।
कंचन बरन विराज सुवेसा।
कानन कुण्डल कुंचित केसा॥
- आपका शरीर सुनहरे रंग का है, आप सुंदर वस्त्र पहनते हैं। आपके कानों में कुंडल और बाल कुचीलित (घुंघराले) हैं।
हाथ बज्र औ ध्वजा विराजे।
काँधे मूँज जनेऊ साजे॥
- आपके हाथ में वज्र और ध्वजा (ध्वज) शोभायमान हैं। आपके कंधे पर मूँज का जनेऊ (यज्ञोपवीत) शोभायमान है।
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन॥
- आप शंकर के अवतार और केसरी के पुत्र हैं। आपकी महान शक्ति और तेज की सभी जगत में वंदना (प्रशंसा) होती है।
विद्यावान गुणी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
- आप विद्या में निपुण, गुणवान और अति चतुर हैं। आप राम के कार्य करने को सदैव आतुर रहते हैं।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥
- आप प्रभु के चरित्र सुनने में रसिक हैं। राम, लक्ष्मण और सीता आपके मन में बसे रहते हैं।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा॥
- आप सूक्ष्म रूप धारण कर सीता को दिखे। विकराल रूप धारण कर आपने लंका को जलाया।
भीम रूप धरि असुर सँहारे।
रामचन्द्र के काज सँवारे॥
- आपने भयंकर रूप धारण कर असुरों का संहार किया। और रामचंद्र के कार्यों को सफल बनाया।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥
- आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण को जीवनदान दिया। इससे श्रीराम बहुत प्रसन्न हुए और आपको गले लगा लिया।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
- श्रीराम ने आपकी बहुत प्रशंसा की। कहा कि आप मुझे भरत के समान प्रिय हैं।
सहस बदन तुम्हरो यश गावे।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावे॥
- हजारों मुख आपकी महिमा गाते हैं। ऐसा कहकर श्रीराम ने आपको गले लगाया।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥
- सनकादिक मुनि, ब्रह्मा, नारद, सरस्वती और शेषनाग भी आपकी महिमा गाते हैं।
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥
- यमराज, कुबेर, दिक्पाल आदि सभी देवता भी आपकी महिमा का बखान करते हैं। कोई भी कवि आपकी पूरी महिमा का वर्णन नहीं कर सकता।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥
- आपने सुग्रीव पर उपकार किया और राम से मिलवाकर उन्हें राजपद दिलाया।
तुम्हरो मंत्र विभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥
- आपके मंत्र का विभीषण ने पालन किया, जिससे वे लंका के राजा बने और सभी जगत ने इसे जाना।
युग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
- हजारों योजन दूर स्थित सूर्य को आपने मीठा फल समझ कर निगल लिया।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥
- प्रभु श्रीराम की अंगूठी को मुख में रखकर आपने समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
- इस जगत के सभी कठिन कार्य आपके आशीर्वाद से सरल हो जाते हैं।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
- आप राम के द्वार के रखवाले हैं। आपकी आज्ञा के बिना कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥
- आपकी शरण में आने से सभी सुख प्राप्त करते हैं। आप रक्षक हैं, इसलिए किसी को डरने की आवश्यकता नहीं है।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक ते काँपै॥
- आप अपने तेज को संभाल कर रखते हैं। आपके हाँकने से तीनों लोक कांप जाते हैं।
भूत पिशाच निकट नहीं आवै।
महावीर जब नाम सुनावै॥
- आपके नाम के उच्चारण से भूत और पिशाच पास नहीं आते।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
- वीर हनुमान का निरंतर जाप करने से रोग नष्ट हो जाते हैं और सभी पीड़ाएँ समाप्त हो जाती हैं।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥
- मन, कर्म, वचन और ध्यान से जो हनुमान की भक्ति करता है, उसे संकटों से हनुमान छुड़ाते हैं।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा॥
- तपस्वी राजा श्रीराम के सभी कार्यों को आपने सफल बनाया है।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥
- जो भी कोई अन्य मनोरथ लेकर आपके पास आता है, उसे अनंत जीवन के फल की प्राप्ति होती है।
चारों युग परताप तुम्हारा।
है प्रसिद्ध जगत उजियारा॥
- चारों युगों में आपका प्रताप और कीर्ति प्रसिद्ध है और पूरे जगत को प्रकाशित करता है।
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥
- आप साधु-संतों के रक्षक हैं। आप असुरों का नाश करने वाले और राम के दुलारे हैं।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥
- आप आठ सिद्धियों और नौ निधियों के दाता हैं। ऐसा वरदान माता जानकी ने आपको दिया।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
- आपके पास राम रसायन (राम नाम का अमृत) है। आप सदा रघुपति के दास बने रहते हैं।
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥
- आपके भजन से राम की प्राप्ति होती है और जन्म-जन्मांतर के दुःख मिट जाते हैं।
अन्त काल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई॥
- अंत समय में भक्त रघुबरपुर (अयोध्या) जाता है और हरि भक्त के रूप में जन्म लेता है।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥
- अन्य देवताओं को चित्त में धारण नहीं करते, हनुमानजी की सेवा से सभी सुख प्राप्त होते हैं।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
- संकट कट जाते हैं और सभी पीड़ाएँ मिट जाती हैं, जो हनुमान बलवीर का सुमिरन (स्मरण) करता है।
जै जै जै हनुमान गोसाई।
कृपा करहु गुरुदेव की नाई॥
- हे हनुमान गोसाईं, आपको जय-जयकार। कृपया आप गुरुदेव की तरह कृपा करें।
जो शत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बन्दि महा सुख होई॥
- जो सौ बार इस पाठ का करता है, वह बंधनों से छूटकर महान सुख प्राप्त करता है।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
- जो हनुमान चालीसा का पाठ करता है, उसे सिद्धि प्राप्त होती है, इसकी साक्षी माता गौरी हैं।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥
- तुलसीदास सदा हरि का चेरा (सेवक) है। हे नाथ, कृपया आप मेरे हृदय में निवास करें।
दोहा:
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
- पवनपुत्र हनुमान, संकटों का हरण करने वाले और मंगलमूर्ति (सुख देने वाले) हैं। राम, लक्ष्मण और सीता के साथ आप मेरे हृदय में निवास करें।
हनुमान चालीसा हिंदी में देखें | हनुमान चालीसा हिंदी में सुनें | Listen Hanuman Chalisa in Hindi| Listen & Watch Hindi Hanuman Chalisa
हनुमान चालीसा के लिए 15 सामान्य प्रश्न (FAQs)
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हनुमान चालीसा क्या है?
हनुमान चालीसा भगवान हनुमान की स्तुति में लिखी गई एक प्रसिद्ध हिंदू भक्ति कविता है।
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हनुमान चालीसा किसने लिखी?
हनुमान चालीसा का लेखन तुलसीदास ने किया था।
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हनुमान चालीसा का क्या महत्व है?
हनुमान चालीसा का पाठ करने से भक्तों को मानसिक शांति, शक्ति और सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।
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हनुमान चालीसा में कुल कितनी चौपाइयाँ हैं?
हनुमान चालीसा में कुल 40 चौपाइयाँ हैं।
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हनुमान चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?
हनुमान चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को करना शुभ माना जाता है।
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हनुमान चालीसा का पाठ कैसे करना चाहिए?
हनुमान चालीसा का पाठ शुद्ध मन से और ध्यान लगाकर करना चाहिए।
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हनुमान चालीसा के पाठ के क्या लाभ हैं?
हनुमान चालीसा के पाठ से भय दूर होता है, मानसिक और शारीरिक बल की प्राप्ति होती है, और जीवन में आने वाली कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
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हनुमान चालीसा का कौन सा भाग सबसे महत्वपूर्ण है?
पूरी हनुमान चालीसा महत्वपूर्ण है, लेकिन “भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे” बहुत प्रसिद्ध है।
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क्या हनुमान चालीसा का पाठ किसी विशेष विधि से करना चाहिए?
विशेष विधि की आवश्यकता नहीं है, परंतु स्नान करके और स्वच्छ वस्त्र पहनकर पाठ करना उत्तम माना जाता है।
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क्या हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं?
हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन के कई कष्ट और बाधाएं कम हो जाती हैं।
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क्या हनुमान चालीसा का पाठ करने से परीक्षा में सफलता मिलती है?
हनुमान चालीसा का पाठ करने से मानसिक शक्ति और एकाग्रता बढ़ती है, जिससे परीक्षा में सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
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क्या हनुमान चालीसा का पाठ करने से घर में सुख-शांति आती है?
हाँ, हनुमान चालीसा का पाठ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और शांति आती है।
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क्या हनुमान चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है?
हाँ, हनुमान चालीसा का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन सुबह और शाम के समय विशेष फलदायी माने जाते हैं।
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क्या हनुमान चालीसा को सुनने से भी लाभ होता है?
हाँ, हनुमान चालीसा को सुनने से भी मानसिक शांति और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।
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क्या हनुमान चालीसा का पाठ समूह में किया जा सकता है?
हाँ, हनुमान चालीसा का पाठ समूह में करने से सामूहिक ऊर्जा बढ़ती है और अधिक लाभ मिलता है।